Sunday, June 15, 2025
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    न्यायपालिका में आम जनता का भरोसा हुआ कम, सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्‍यों की ऐसी टिप्‍पणी

    Restoring Public Trust in the Indian Judiciary Calls for More Scrutiny, Not  Less

    नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास काफी कम हो गया है और इसके पीछे का कारण उचित लागत पर न्याय तक गुणवत्तापूर्ण पहुंच प्रदान करने में न्यायपालिका की विफलता है।

    हालाँकि, न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप नहीं बल्कि उनके व्यक्तिगत विचार थे।न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि यह मेरा निजी विचार है कि 1950 में (जब संविधान बनाया गया था) जो भी आस्था थी, वह विभिन्न कारणों से काफी कम हो गई है। और मुख्य कारण यह है कि हम उचित कीमत पर गुणवत्तापूर्ण न्याय तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।

    उनकी टिप्पणी बुधवार को दूसरे श्यामला पप्पू मेमोरियल व्याख्यान के दौरान आई, जिसका विषय था – ‘भारतीय संविधान के 75 वर्षों के संदर्भ में न्याय तक पहुंच’। न्यायमूर्ति ओका ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हितधारकों के साथ अपनी बातचीत को याद किया और कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि न्यायाधीशों को हाथीदांत टावरों में नहीं रहना चाहिए। हितधारकों के साथ अपनी बातचीत से मैं जो समझ सका वह यह है कि न्यायपालिका भारत के आम नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाई है। हम बहुत पीछे चल रहे हैं।

    संबोधन में उन्होंने कहा मेरे विचार में हमें यह पता लगाना चाहिए कि हमसे कहां गलती हुई है… हमें 75 साल पीछे मुड़कर देखना चाहिए और वस्तुतः एक ऑडिट करना चाहिए कि क्या अदालतों ने वास्तव में वह हासिल किया है जो आम आदमी चाहता था। ओका ने कहा कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद, प्रत्येक नागरिक को कानूनी प्रणाली से बहुत अधिक उम्मीदें थीं।

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