Wednesday, June 18, 2025
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    NDA दो और दलों को रहा साध, नायडू की शाह से मुलाकात गठबंधन को लेकर हुई बात!

    नई दिल्ली। बिहार में नीतीश कुमार ने INDIA अलायंस को छोड़कर NDA का दामन थाम लिया है। उसके बाद यूपी में अब तक अखिलेश यादव की सपा के साथ नजर आ रहे जयंत चौधरी को लेकर भी कयास तेज हैं कि वे पाला बदल लेंगे। चर्चा है कि 5 लोकसभा सीटों पर टिकट और केंद्र में एक मंत्री पद की डील पर जयंत चौधरी राजी हो गए हैं और सपा के 7 सीटों के ऑफर को ठुकरा रहे हैं। यही नहीं इस बीच भाजपा अपने पुराने साथी रहे टीडीपी और अकाली दल को भी लाने के लिए प्रयास कर रही है। ऐसा हुआ तो फिर दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश से पंजाब तक एनडीए का कुनबा मजबूत हो जाएगा।

    पंजाब में अमृतसर, लुधियाना, जालंधन, पठानकोट जैसे शहरी इलाकों में अकाली दल के साथ मिलकर भाजपा की ताकत बढ़ जाती है। ग्रामीण इलाकों में अकाली दल का वोट है और शहरी क्षेत्रों में भाजपा मजबूत रही है। ऐसे में दोनों दल पंजाब में एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। किसान आंदोलन के दौरान दोनों का अलगाव हो गया था, लेकिन अब बदली हुई परिस्थितियों में अकाली दल को भी भाजपा की जरूरत लग रही है। खबर है कि आरएलडी को भाजपा ने जिन सीटों का ऑफर दिया है, उनमें बिजनौर और बागपत लोकसभा शामिल हैं। 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने बागपत से जयंत चौधरी को ही हराया था और बिजनौर में उसका कैंडिडेट बसपा से हार गया था।

    नायडू की शाह से मुलाकात, गठबंधन को लेकर हुई बात!

    आरएलडी ने योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से 11 फरवरी को विधायकों के अयोध्या दौरे के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है। गठबंधन की चर्चाओं के बीच यह न्योता स्वीकार करना भी बड़े संकेत दे रहा है। वहीं सपा का कहना है कि हम अयोध्या जाएंगे, लेकिन अलग से जाएंगे। इस बीच टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने भी दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में गठबंधन पर ही बात हुई है। वाईएसआर कांग्रेस के तीन सांसदों ने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है और अब वह टीडीपी में आ सकते हैं।

    पंजाब में स्थानीय यूनिट चाहती है कि अकाली रहे साथ

    अब बात पंजाब की करें तो यहां भाजपा की स्थानीय यूनिट भी चाहती है कि अकाली दल से गठबंधन हो जाए। अकाली दल ने पिछले दिनों एक देश एक चुनाव के फॉर्मूले का भी समर्थन किया था। इसके बाद से ही दोनों के साथ आने के कयास लग रहे थे। अकाली दल भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक है।

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