Monday, June 16, 2025
No menu items!
More

    इस अयोध्याधाम के चेहरे पर खुशी छाई है और उज्ज्वल कल का वादा

     

    अयोध्याधाम। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अब कैसी है? यह तो सारा जगत 22 जनवरी को दिव्य और भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में हुए श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निहार चुका है। मगर मां सरयू तीरे बसे अयोध्याधाम में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली 23 जनवरी को सुबह पर भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने शब्दों और चित्रों के संगम में आस्था की डुबकी लगवाने का शानदार प्रयास किया है।

    यह है पीआईबी की हू-ब-हू प्रस्तुति- 23 जनवरी को, अयोध्या में आशा और विश्वास के प्रतीक राम मंदिर के रूप में इतिहास सामने आया, जो श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का गवाह बना। आज, धूल जम गई, भीड़ तो नहीं है लेकिन वो अपने पीछे लोगों के चेहरों पर भावनाओं का एक संग्रह छोड़ गया है। लोगों के चेहरों पर ये छवियां न केवल इस मंदिर के इतिहास का वर्णन कर रही हैं, बल्कि लोगों की उस यात्रा को भी बता रही हैं, जो एक दिन में हमेशा के लिए अमरत्व में अंकित हो जाती हैं।

    भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सरगर्मी भरी बातचीत के बीच खींचे गए ये चित्र, महज चित्र नहीं हैं, बल्कि इसके मायने कहीं अधिक हैं। ये चित्र अयोध्या के लोगों की आत्मा के द्वार हैं, प्रत्येक चित्र एक मूक कथावाचक है जो अतुलनीय आनंद और भक्ति का संचार करता है।

    भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के एक दिन बाद की ये अयोध्या है। भावनाओं का उभार, फुसफुसाहट की संगीत रचना, एक शहर जो गहन समापन और अस्थायी पुनर्जन्म दोनों की सांस ले रहा है। ये चेहरे न केवल बीते हुए कल की गूंज व्यक्त करते हैं, बल्कि एक उज्ज्वल कल का वादा भी प्रदर्शित करते हैं।

    RELATED ARTICLES

    Most Popular