Tuesday, June 17, 2025
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    1993 बम धमाके का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा बरी, TADA कोर्ट ने सुनाया फैसला; 2 को उम्रकैद की सजा

    TADA Court acquits Abdul Karim Tunda, main accused in 1993 Mumbai blasts |  India News - Business Standard

    नई दिल्‍ली । 1993 सिलसिलेवार बम धमाके को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। अदालत ने इस धमाके के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। TADA (Terrorist & Anti-disruptive Activities Act) की अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को किसी भी मामले में दोषी नहीं पाया है।

    राजस्थान में अजमेर की टाडा कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। धमाके के करीब 31 साल बाद सभी को अदालत के फैसले का इंतजार था। अब अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। इसी के साथ टाडा कोर्ट ने इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी करार दिया है। इन दोनों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बताया जा रहा है कि सबूत के अभाव में टुंडा को अदालत ने बरी कर दिया गया है।

    इन शहरों की ट्रेनों में एक के बाद धमाके हुए थे

    आपको बता दें कि साल 1993 में मुंबई, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और लखनऊ की कुछ ट्रेनों में एक के बाद धमाके हुए थे। इस मामले में अब्दुल करीब टुंडा, इरफान और हमीमुद्दीन पर संगीन आऱोप लगे ते। अब्दुल करीम टुंडा को साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ लिया गया था। सभी आरोपियों के खिलाफ टाडा एक्ट में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की गवाही हुई है।

    आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़ा हुआ था

    अब्दुल करीम टुंडा के बारे में बताया जाता है कि वो उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का रहने वाला है। पिलखुवा में वो बढ़ई का काम करता था। अंदेशा जताया जाता है कि अब्दुल करीम टुंडा खुंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़ा हुआ है। यह भी दावा किया जाता है कि टुंडा ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से दहशत फैलाने की ट्रेनिंग हासिल की है। बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर 6 दिसंबर, 1993 को आतंकियों ने ट्रेन में सीरियल ब्लास्ट किए थे। इस मामले में कुल 17 आरोपियों को पकड़ा गया था। इस ब्लास्ट के पीड़ितों को बरसों से न्याय का इंताजर था। अब टाटा कोर्ट ने इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाया है।

    टाडा कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 23 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कहा जाता है कि एक मस्जिद में बैठक के दौरान पाइप गन चलाने की वजह से अब्दुल करीम का एक हाथ उड़ गया था। तब ही से उसका नाम टुंडा पड़ा था।1993 के बम धमाकों में टुंडा को मुख्य आरोपी बनाया गया था।

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